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Friday, May 21, 2010

"इंडिया" में "इंडियन" कोई ना मिला |"

" एक छोटी सी बोध कथा आपके सामने रख रहा हु मै आज ..जो की वास्तविकता है आज हमारे देश की ..दिखने में एक जुट रहनेवाले हम लोग दरअसल एकता का मतलब ही भूल गए है ..अंग्रेज के खिलाफ एक जुट होकर लड़ने वाले हम आज वक़्त के साथ साथ एकता का मतलब ही भूल गए है "
एक अमेरिकेन इंडिया की सैर करने आया था ..उसने इंडिया का हर कोना देखा ...हर जगह देखि ..और खुश होकर वापस अमेरिका गया ..उसने अमेरिका जाते ही एक शानदार "पार्टी " दी
पार्टी में ...........
दोस्त : यार तुने इंडिया में क्या क्या देखा ?
वो : इंडिया ..ओह ..इंडिया ..बहुत कुछ है इंडिया में देखने जैसा ...हर जगह दिल जीत लेती है .
जैसे .....अजंता एलोरा गुफा , ताज महेल ,चारमीनार , और बहुत कुछ देखा
दोस्त : कैसा लगा इंडिया ?
वो : यार इंडिया की बात मत पुछो ..वहां से सिर्फ मेरा शरीर ही अमेरिका आया है ..मग़र दिल तो
इंडिया में ही रहे गया है ...........मग़र यारमुझे इंडिया वापस एक बार जाना है क्यों की .......
" गुजराती मिला, कन्नड़ मिला, तमिल मिला ,बंगाली मिला ,यू पी वाला मिला ,
ऍम पी वाला मिला ..ये सब मीले यार मग़र कोई इंडियन नहीं मिला "

क्यों हम प्रांतवाद को चिपक कर बैठे है ..आओ मिलकर कहे "मै भारतीय हु "

Monday, May 10, 2010

" क्यु हर गाली में मेरा जिक्र करते हो ..मैंने तुम्हे जन्म दिया है |"

" समाज ने दिए दर्द के सहारे जी रही हु ,
जिसको मैंने जन्म दिया उसी से गालियाँ खा रही हु ,
क्यु हर गाली में मेरा जिक्र करते हो ,
मेरा कसूर क्या यही है की, मैंने तुम्हे जन्म दिया ?
आज भी भरे बाज़ार में मेरी आबरू लुट रही है "

" क्या ये सच है ? ...जी हाँ यही कडवा सच है की हम लोग अक्सर हमारी निजी लड़ाई में भी एक दुसरे की माँ के नाम की गालियाँ बोलते है और धजियाँ उड़ाते है जन्म देनेवाली माँ की आबरू की ..हम लोग भूल जाते है की माँ चाहे किसी की भी हो माँ ..माँ होती है ..और बस गन्दी गालियों की बरसात करते है एक दुसरे पर "
" कभी कभी मैंने देखा है की ,ऐसे इंसान भी है जो मजाक मजाक में माँ के नाम की गालियाँ देते है ..तेरे माँ की ....ये सब्द इन लोगो के लिए मामूली बन गया है ..मग़र क्या ये सही है ?"
" जिस औरत ने हमे जन्म दिया ,उसको हमने क्या दिया ..चन्द गंदे सब्द ...क्या हम इस गंदे सब्द को हमारी जिन्दगी से नहीं निकाल सकते ?..गालियाँ भी अजीब है सायद गालियाँ और माँ -बहेन का रिश्ता पुराना लगता है समाज को लगे इस दूषण से हम कैसे बचे ये सोचो और हो सके तो गालियाँ देने से दूर रहेकर ही हम " माँ " के प्रति अपना भाव प्रकट कर सकेंगे "
" मधर डे" के दिन मैंने हर ब्लॉग पर माँ पर लिखी गयी रचना पढ़ी मग़र कही पर दिल नहीं लगा ..क्यु की माँ के प्रति रचना या आलेख लिखने से माँ खुश नहीं होगी माँ से जाकर कहेना की माँ मैंने आज कोई रचना आपके नाम नहीं लिखी है मग़र आज मै ये वादा करता हु की किसी को कभी किसी की माँ या बहेन के नाम की गालियाँ नहीं दूंगा ...वादा रहा दोस्तों माँ बहुत ही खुश हो जाएगी और यही सच्चा प्यार माँ के प्रति होगा "
" आओ दोस्तों समाज की इस दूषण को हम मिटाए और पहेल करे " माँ " के प्रति सच्चा प्यार जताने की "